Thursday, July 15, 2010


||इक्कीस||
खुदा रे !
तेरी खुदाई
तू ही जाने
मुझे तो /बस
इतना बता दे
बन्दे की
जिंदगी के माने
समझा दे !

||बाईस||

आग का दरिया
नंगे पांव / पार करने के बाद
जो बिम्ब उभरा था
उसका अर्थ / जैसे
मेरे यथार्थ में मिल गया है
एक क्षण के लिए / वातावरण
चन्दन की शीतलता से भर गया है

No comments: